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सूरदास

श्रीकृष्णबाल-माधुरी

राग बिहागरौ

नैंकु गोपालहिं मोकौं दै री |
देखौं बदन कमल नीकैं करि, ता पाछैं तू कनियाँ लै री ||
अति कोमल कर-चरन-सरोरुह, अधर-दसन-नासा सोहै री |
लटकन सीस, कंठ मनि भ्राजत, मनमथ कोटि बारने गै री ||
बासर-निसा बिचारति हौं सखि, यह सुख कबहुँ न पायौ मै री |
निगमनि-धन, सनकादिक-सरबस, बड़े भाग्य पायौ है तैं री |
जाकौ रूप जगत के लोचन, कोटि चंद्र-रबि लाजत भै री |
सूरदास बलि जाइ जसोदा गोपिनि-प्रान, पूतना-बैरी ||

(कोई गोपिका कहती है -यशोदाजी!) `तनिक गोपालको तुम मुझे दे दो, मैं इसके कमल
मुखको एक बार भली प्रकार देख लूँ, इसके बाद तुम गोदमें लेना |' (गोदमें लेकर कहती
है) `इसके कर तथा चरण कमलके समान अत्यन्त कोमल हैं, अधर, दँतुलियाँ और नासिका
बहुत शोभा दे रही है, मस्तकपर यह लटकन (केशोंमें गूंथे मोती) तथा गलेमें कौस्तुभमणि
ऐसी छटा दे रहे हैं कि इनपर करोड़ों कामदेव भी न्योछावर हो गये| सखी ! मैं रात-दिन
सोचती रहती हूँ कि यह सुख (जो कन्हाई के आने पर मिला है) मैंने और कभी नहीं पाया |
यह तो वेदोंकी सम्पत्ति और सनकादि ऋषियोंका सर्वस्व है, जिसे तुमने बड़े सौभाग्य से
पा लिया है | इसके रूप ही जगत के नेत्र हैं (जगत् के नेत्रों की सफलता इसके रूपका
दर्शन करना ही है) करोड़ों सूर्य-चन्द्र (इस रूपको देखकर) लज्जित हो जाते हैं |'
सूरदासजी कहते हैं- माता यशोदा अपने लालपर बलि-बलि जाती हैं | (उनका लाल) गोपियों
का प्राणधन औष पूतनाका शत्रु है |

National Record 2012

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Bihar became the first state in India to have separate web page for every city and village in the state on its website www.brandbihar.com (Now www.brandbharat.com)

See the record in Limca Book of Records 2012 on Page No. 217