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सूरदास

श्रीकृष्णबाल-माधुरी

(माई) आजु हो बधायौ बाजै नंद गोप-राइ कै |
जदुकुल-जादौराइ जनमे हैं आइ कै ||
आनंदित गोपी-ग्वाल नाचैं कर दै-दै ताल, अति अहलाद भयौ जसुमति माइ कै |
सिर पर दूब धरि , बैठे नंद सभा-मधि , द्विजनि कौं गाइ दीनी बहुत मँगाइ कै ||
कनक कौ माट लाइ, हरद-दही मिलाइ, छिरकैं परसपर छल-बल धाइ कै |
आठैं कृष्न पच्छ भादौं, महर कैं दधि कादौं, मोतिनि बँधायौ बार महल मैं जाइ कै ||
ढाढ़ी और ढ़ाढ़िनि गावैं, ठाढ़ै हुरके बजावैं, हरषि असीस देत मस्तक नवाइ कै |
जोइ-जोइ माँग्यौ जिनि, सोइ-सोइ पायो तिनि, दीजै सूरदास दर्स भक्तनि बुलाइ कै ||

भावार्थ :-- (सखी!) आज गोपराज श्रीनन्दजी के यहाँ बधाई के बाजे बज रहे हैं |
श्री यदुनाथ यदुकुलमें आकर प्रकट हो गये हैं |
गोपियाँ और गोप आनन्दित होकर ताल दे-देकर नृत्य कर रहे हैं |
माता यशोदा को अत्यन्त आल्हाद हुआ है | श्रीनन्दजी मस्तक पर दूर्वा धारण करके गोपों
की सभामें बैठे हैं, उन्होंने बहुत सी गायें मँगाकर ब्राह्मणों को दान दीं | (गोप)
सोने के बड़े मटकोंमें हल्दी और दही मिलाकर ले आये और दौड़-दौड़कर एक-दूसरे पर
छिड़क रहे हैं | भाद्रपद महीने के कृष्णपक्ष की अष्टमी है, आज व्रजराज के यहाँ दधि
काँदो हो रहा है,अपने भवनमें जाकर उन्होंने मोतियोंका बंदनवार बँधवाया है |ढाढ़ी और  
ढाढ़िनें मंगल गा रही हैं, वे खड़े-खड़े सिंगे बजा रहे हैं और हर्षित होकर मस्तक
झुकाकर आशीर्वाद दे रहे हैं |
जिस-जिसने जो कुछ माँगा, उसने वही-वही पाया | सूरदासजी कहते हैं-प्रभो ! भक्तोंको
बुलाकर उन्हें भी दर्शन दे दीजिये |

National Record 2012

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Bihar became the first state in India to have separate web page for every city and village in the state on its website www.brandbihar.com (Now www.brandbharat.com)

See the record in Limca Book of Records 2012 on Page No. 217