राग काफी
आजु हो निसान बाजै, नंद जू महर के |
आनँद-मगन नर गोकुल सहर के ||
आनंद भरी जसोदा उमँगि अंग न माति, अनंदित भई गोपी गावति चहर के |
दूब-दधि-रोचन कनक-थार लै-लै चली, मानौ इंद्र-बधु जुरीं पाँतिनि बहर के ||
आनंदित ग्वाल-बाल, करत बिनोद ख्याल, भुज भरि-भरि अंकम महर के |
आनंद-मगन धेनु स्रवैं थनु पय-फेनु, उमँग्यौ जमुन -जल उछलि लहर के ||
अंकुरित तरु-पात, उकठि रहे जे गात, बन-बेली प्रफुलित कलिनि कहर के |
आनंदित बिप्र, सूत, मागध, जाचक-गन, अमदगि असीस देत सब हित हरि के ||
आनँद-मगन सब अमर गगन छाए पुहुप बिमान चढ़े पहर पहर के |
सूरदास प्रभु आइ गोकुल प्रगट भए, संतनि हरष, दुष्ट-जन-मन धरके ||
आज व्रजराज श्रीनन्दजी के घर मंगल वाद्य बज रहा है | गोकुल नगर के सभी लोग
आनन्दमग्न हैं | आनन्दपूर्ण श्रीयशोदाजी उमंगके मारे अपने-आपमें समाती नहीं हैं |
गोपियाँ आनन्द से उल्लसित होकर मंगलगान कर रही हैं | सोने के थालों में दूर्वा
दही तथा गोरोचन लिये वे इस प्रकार चली जा रही हैं, मानो इन्द्रवधूटियों की पंक्ति
एकत्र होकर बाहर निकल पड़ी हो | ग्वालबाल आनन्दित होकर अनेक विनोद-विचार करते
हैं और बार-बार श्रीव्रजराजको दोनों भुजाओं में भरकर हृदय से लगा लेते हैं | गायें
आनन्दमग्न होकर थनों से फेनयुक्त दूध गिरा रही है |
उमंग से यमुनाजी के जलमें ऊँची लहरें उछल रही हैं | जो वृक्ष पूरे सूख गये थे,
उनमें भी पत्ते अंकुरित हो गये हैं | वन की लताएँ प्रफुल्लित होकर कलियोंकी राशि
बन गयी हैं | ब्रह्मण, सूत, मागध तथा याचकवृन्द आनन्दित होकर सभी उमंगपूर्वक
श्री हरिके हित के लिये आशीर्वाद दे रहे हैं | आनन्दमग्न सभी देवता वस्त्राभूषण
पहिनकर पुष्पसज्जित विमानों पर बैठे आकाश में छाये (फैले) हुए हैं | सूरदास के
स्वामी गोकुल में प्रकट हो गये हैं, इससे सत्पुरुषों को प्रसन्नता हो रही है और
दुष्टों के हृदय (भयसे) धड़कने लगे हैं |
Bihar became the first state in India to have separate web page for every city and village in the state on its website www.brandbihar.com (Now www.brandbharat.com)
See the record in Limca Book of Records 2012 on Page No. 217