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सूरदास

श्रीकृष्णबाल-माधुरी

जननी देखि, छबि बलि जाति |
जैसैं निधनी धनहिं पाएँ, हरष दिन अरु राति ||
बाल-लीला निरखि हरषति, धन्य धनि ब्रजनारि |
निरखि जननी-बदन किलकत, त्रिदस-पति दै तारि ||
धन्य नँद, धनि धन्य गोपी, धन्य ब्रज कौ बास |
धन्य धरनी करन पावन जन्म सूरजदास ||

भावार्थ :--
माता (श्यामकी) शोभा देखकर बलिहारी जाती है | जैसे निर्धनको धन प्राप्त हो जाने से
रात-दिन आनन्द हो रहा हो | (श्रीकृष्णचन्द्रकी) बाल-लीला देखकर हर्षित होनेवाली
व्रज की नारियाँ धन्य हैं | त्रिलोकीनाथ प्रभु माताका मुख देखकर ताली बजाकर (हाथ
परस्पर मिलाकर) किलकारी मारते हैं | व्रजराज श्रीनन्दजी धन्य हैं ये गोपिकाए धन्य-
धन्य हैं और जिन्हें व्रजमें निवास मिला है वे भी धन्य हैं | सूरदास कहते हैं कि
पृथ्वीको पवित्र करनेवाला प्रभुका अवतार धन्य है |

National Record 2012

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Bihar became the first state in India to have separate web page for every city and village in the state on its website www.brandbihar.com (Now www.brandbharat.com)

See the record in Limca Book of Records 2012 on Page No. 217