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सूरदास

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सूरदास

परिशिष्ट

पदों में आये मुख्य कथा-प्रसंग

श्रीकृष्ण-चरित

इसी प्रकार एक बार नन्दबाबा एकादशीके व्रतके बाद भ्रमसे रात्रिमें ही सबेरा हुआ समझ
कर यमुनामें स्नान करने घुसे | एक वरुणका सेवक उन्हें वरुणलोक ले गया | पिताके
डूबनेकी बात सुनकर श्रीकृष्णचन्द्र यमुनामें कूद पड़े और वरुणलोक जाकर बाबाको ले
आये |
यमुनाजीमें सौ फनोंवाला कालियनाग रहता था | उसके विषसे वहाँका यमुनाजल विषैला हो
गया था | खेल-ही-खेल में श्यामसुन्दर ह्रद में कूद पड़े | एक बार तो कालियने उन्हें
अपने शरीरसे लपेट लिया; किंतु कुछ देरमेंवे उसके बन्धनसे छूट गये | कूदकर वे सर्पके
फनपर खड़े हो गये और एकसे दूसरे फनपर कूदकर नृत्य करने लगे | कालियके फन
चिथड़े हो गये | अन्तमें उसने भगवान् को पहचानकर क्षमा माँगी | श्रीकृष्णकी आज्ञा
से कालिय परिवारके साथ समुद्रमें चला गया | देवराज इन्द्रका गर्व नष्ट करने के लिये
श्रीकृष्णचन्द्रने गोपों को इन्द्रका यज्ञ करने से रोक दिया और गिरराज गोवर्धनकी
पूजा करायी | इससे क्रोधमें आकर इन्द्र ने व्रजपर प्रलय-वर्षा प्रारम्भ करदी | श्री
कृष्णचन्द्र ने गोवर्धन पर्वतको उठाकर बायें हाथकी छोटी अँगुलीपर रख लिया और सात
दिन-रात खड़े रहे | पर्वतके नीचे पूरे व्रजके लोग सुरक्षित थे | अन्त में सात दिन-
रात वर्षा करके इन्द्र हार गये | वर्षा बन्द हो गयी | श्यामसुन्दरने पर्वत यथा
स्थान रख दिया | इन्द्र ने आकर भगवान् से क्षमा माँगी |
व्रज की बालिकाएँ चाहती थीं कि हमारे पति श्रीकृष्ण ही हों इसके लिए वे मार्गशीर्ष
महीनेमें प्रातःकाल यमुनास्नान करके देवी की पूजा करती थीं | जिस दिन महीना पूरा
हुआ, उस दिन आकर श्यामसुन्दर उनके वस्त्र लेकर कदम्ब पर जा चढ़े |पीछे जब मोहन
के कहने पर सब जल से बाहर आ गयीं, उनके वस्त्र लौटाकर श्यामने वर्षभर बाद उनके
साथ रास करने का वचन दिया | एक वर्ष बाद शरद-ऋतुकी पूर्णिमा को उन्होंने उनके
साथ वृन्दावनमें रास-क्रीड़ा की |

National Record 2012

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Bihar became the first state in India to have separate web page for every city and village in the state on its website www.brandbihar.com (Now www.brandbharat.com)

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