राग बिलावल
आजु गृह नंद महर कैं बधाइ |
प्रात समय मोहन मुख निरखत, कोटि चंद-छबि पाइ ||
मिलि ब्रज-नागरि मंगल गावतिं, नंद-भवन मैं आइ |
देतिं असीस, जियौ जसुदा-सुत कोटिनि बरष कन्हाइ ||
अति आनंद बढ्यौ गोकुल मैं, उपमा कही न जाइ |
सूरदास धनि नँद की घरनी, देखत नैन सिराइ ||
आज व्रजराज श्रीनन्दजी के यहाँ बधाई बज रही है | करोड़ों चन्द्रमा के समान सुशोभित
मोहन का मुख प्रातःकाल ही उन्होंने देखा है | व्रज-नागरिकाएँ एकत्र होकर नन्दभवन
में आकर मंगलगान कर रही हैं | वे आशीर्वाद देती हैं--`यशोदा रानी का पुत्र कन्हाई
करोड़ों वर्ष जीवे |' गोकुलमें अत्यन्त आनन्द उमड़ा है,उसकी उपमा वर्णन नहीं किया
जा सकता | सूरदासजी कहते हैं कि नन्दपत्नी धन्य हैं, उनके दर्शन करके ही नेत्र शीतल
हो जाते हैं |
Bihar became the first state in India to have separate web page for every city and village in the state on its website www.brandbihar.com (Now www.brandbharat.com)
See the record in Limca Book of Records 2012 on Page No. 217